tag:blogger.com,1999:blog-4765594247154445981.post6195058200233769664..comments2023-08-25T08:44:03.247-07:00Comments on विचारों का ट्रैफिक जाम: आख़िर क्या है कलर्स टीवी का 'बिग बॉस सीज़न २ शो'?अमित माथुरhttp://www.blogger.com/profile/10707264752320250136noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4765594247154445981.post-80910026680083268262008-10-05T00:34:00.000-07:002008-10-05T00:34:00.000-07:00प्रिय अमित ईश्वर तुम्हे सदैब प्रसन्न रखे / आपका आल...प्रिय अमित ईश्वर तुम्हे सदैब प्रसन्न रखे / आपका आलेख पढ़ा अच्छा लगा / इसमे सचाई ये है की "" इंसान बिधाता या भगवान् बनना चाहता है " = कई भगवान् हो चुके कई होने जारहे है / आपके लेख में व्यंग्य यह है कि ""घर वालों के घर से वेघर करने का नोमी नेशन "" बहुत अच्छा लिखते हो /ब्लॉग पर ज्यादा तर्रीफ करना उचित नहीं होता =यहाँ का तो तरीका है कि आओ ,ब्लॉग खोलो ,सरसरी नजर डालो और बहुत अच्छा लिख आओ /बिल्कुल कुत्ते और खंभे की दोस्ती की तरह / मैं एक बात बताऊँ /साहित्यकार की मौत दो तरह से होती है एक तब जब कोई विद्वान् उसके लेख को पढ़ या सुनकर, सराहना ना करे और चुप हो जाए =और दूसरी मौत तब होती है जब कोई नावाकिफ ,नाजानकार शेर सुनकर वाह वाह कर जाए या तारीफ कर जाए /मेरा ई मेल आई डी है :- Thesis_brij@yahoo.co.inBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.com