Friday, August 15, 2008
आख़िर अब क्या है आजादी ?
हिंदुस्तान में पिछले 61 सालो से शायद आजादी हासिल करने की एक उपलब्धि को छोड़कर हम हिन्दुस्तानी किसी बात पर खुश नहीं होते. हिंदुस्तान पिछले 61 सालो में बहुत बदला है. हमने और भी बहुत सी उपलब्धिया हासिल की है मगर आजादी पाने की एक भावना को हम अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं. जिन महान लोगो और देशभक्तों के जूनून की वजह से आजादी हासिल हुयी थी वो अब माँ भारती के चरणों में विलीन हो चुके हैं. और जो नेता बचे हैं वे देशभक्ति से कहीं आगे अपने भक्त बनाने के बारे में सोचते हैं. आज हिंदुस्तान में वोटिंग का प्रतिशत गिर रहा है क्यूंकि हिंदुस्तान के नौजवान 'आजादी पाने की ज़ंग' को outdated समझने लगे हैं. अब तीसरी पीढी को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की शहीदों ने आजादी कितनी कुर्बानियो से हासिल की थी. वो एक जूनून था जिसे हिंदुस्तान के रहनुमाओं ने आज तीसरी पीढी तक आते आते मार डाला है. मेरी दुआ है हिंदुस्तान के नौजवान आजादी के इस जूनून का एक नया अर्थ पैदा करें और उस आजादी के विचार को अपनी तेज़ ज़िन्दगी के साथ रीमिक्स करते हुए हिंदुस्तान को दुनिया के शिखर देशो से भी ऊपर का दर्जा दिलाये. जय हिंद
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1 comment:
आज मैं आपके ब्लोग पर पहुंची हुं एक ऐसे व्यक्ति की बदौलत जो अपने आप को प्रखर हिंदुत्व कहता है।भारत में रहकर भी अपना नाम पहचान छूपाता है। जो देश को एक नहिं अनेक बनाने की कोशिश करता है, पर अपनी पहचान छुपाता है। क्यों? क्या जरूरत है पहचान छूपांने की?क्या कोइ चोरी की या डाका डाला है?
आप के ब्लोग के कमेन्ट बोक्स में मैं ये सब इसलिये लीख र्ही हुं कि आप की कमेन्ट लाजवाब रही।
शुक्रिया।
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