Sunday, September 21, 2008
आख़िर जामिया नगर के लोग इसे फेक एनकाउंटर क्यूँ कह रहे हैं?
जामिया नगर के लोग कहते हैं दिल्ली पुलिस का ये एनकाउंटर फर्जी था. मगर क्या एक फर्जी एनकाउटर में दिल्ली पुलिस का एक वरिष्ठ सिपाही शहीद हो सकता है? जवाब हर सवाल का दिया जा सकता है. चर्चा हर विषय पर हो सकती है. मगर उसके लिए मुसलमानों और गैर-मुसलमानों को अपने दिमाग से माइनोरिटी वाला फंडा हटाना होगा. अगर बहस की शुरुआत ये सोचकर शुरू होगी की बाटला हॉउस में मुसलमानों पर अत्याचार करने के लिए दिल्ली पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर किया है तो शायद बहस का अंत एक नए फसाद पर होगा.मेरे विचार से दिल्ली पुलिस का बाटला हॉउस मिशन एक सही एनकाउंटर था और उसका पूरा क्रेडिट दिल्ली पुलिस को जाता है. दिल्ली में हुए आतंकी धमाको के पीछे एक मुसलमान ग्रुप का हाथ है इसमे को शायद मुसलमानों को भी शक नहीं होगा. इंडियन मुजाहिदीन हो, सिमी हो, या उनके पीछे की ताक़त लश्कार-ऐ-तैयबा ये सभी इस्लामी आतंकवादी ग्रुप हैं. जेहाद के नाम पर भोले भाले अल्लाह के बन्दों को बहकाना और उनसे गैर-इस्लामी काम करवाना इन ग्रुप्स का काम है. वैसे आजकल मुस्लमान नौजवानों को धर्म से ज़्यादा पैसे के नाम पर बहकाया जा रहा है. आजमगढ़ में बनी आलिशान इमारते इस बात की गवाह हैं. जेहाद के लिए जो फौज तैयार की जा रही है वो बिल्कुल भारतीय सेना में भर्ती की तरह हो रहा है. पैसे के सपने दिखा कर बेरोजगार पढ़े लिखे नौजवानों को गैर-इस्लामी कामो में धकेला जा रहा है.जहाँ तक इस एनकाउंटर का सवाल है तो ये एनकाउंटर बिल्कुल सही था. सबसे पहलेतो सवाल ये उठाया जा रहा है की शहीद मोहन चंद शर्मा बिना बुलेट प्रूफ़ जैकेट के एनकाउंटर के लिए गए क्यूँ? इसका जवाब यहीं से मिलता है की वो अपने घर से कह कर निकले थे की मैं अभी एक घंटे में आता हूँ. उनको ये जानकारी थी बाटला हॉउस के उस घर में शायद कुछ लोग छुपे हैं जो धमाको में शरीक पाये जा सकते हैं. मगर वहां पहुँच कर जब तो ऊपर जाने लगे तो एल-18 नम्बर के उस मकान से गोलिया चलनी शुरू हो गई. जामिया नगर के इस इलाके में जहाँ ज़्यादातर स्टूडेंट्स रहते हैं इंसपेक्टर शर्मा ने इसकी उम्मीद नहीं की थी. जब पुलिस टीम वहां पहुँची तो काफी ज़्यादा तादाद में वहां रह रहे लोगो की भीड़ जमा होने लगी जिनमे लोकल मुस्लमान नेता भी शामिल थे उन्होंने अफवाह फैलाई की दिल्ली पुलिस 'खालिलुल्लाह मस्जिद' पर कार्यवाही करने जा रही है. मगर पुलिस की तादाद और पुलिस का टारगेट देखकर वो लोग कहाँ गायब हुए कोई नहीं जानता. अगर हम जामिया नगर के लोगो की माने तो जो दो आतंकी फरार हो गए उनके निकल भागने का कोई रास्ता नहीं था क्यूंकि जिस मकान को दिल्ली पुलिस ने तारगेट किया था वो चौथी मंजिल पे है और वहां से भागने का कोई रास्ता नहीं है. मेरे विचार से उन दोनों आतंकियो को नीचे की किसी मंजिल में पनाह मिली होगी और पुलिस कार्यवाही ख़तम होने के बाद वो दोनों आतंकी फरार हो गए.सबसे बड़ा सवाल ये है की आख़िर जामिया नगर के लोग इसे फेक एनकाउंटर क्यूँ कह रहे हैं? मेरे विचार में शायद जामिया नगर इलाके को इन जेहादियों ने इसी लिए चुना था क्यूंकि वहां ज्यादातर स्टूडेंट्स होने की वजह से पुलिस का ध्यान कम जाता है. दूसरा इलाके में शायद जेहाद को समर्थन देने वाला एक ग्रुप मोजूद है जो इन आतंकियो की मदद करता है और इनके मंसूबो से इत्तेफाक रखता है.मेरे विचार से दिल्ली पुलिस को ईद के बाद तमाम मुस्लिम उलेमाओं से मशविरा करके और सावर्जनिक रूप से इन तमाम आलिम रहनुमाओं की इजाज़त से तमाम शक वाली जगहों को सर्च करना चाहिए. क्यूंकि जेहाद खुदा के बन्दों के लिए की जाने वाली जंग है नाकि खुदा के बन्दों के बर्खालाफ की जाने वाली जंग. अगर इस पूरी कायनात को खुदा ने बनाया है तो हमे ये मान लेना चाहिए की इस्लामी और गैर-इस्लामी दोनों तरह के बाशिंदे खुदा का ही करिश्मा हैं और खुदा के नाम पर उसी के बन्दों को नुक्सान पहुँचाना खुदा की नज़र में गुनाह है. मेरी तमाम मुसलमान बच्चो से अपील है की वो पैसे के लिए इस तरह की गैर-इस्लामी ताक़तों के चंगुल में ना फसे. -जय हिंद
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8 comments:
"अपने दिमाग से माइनोरिटी वाला फंडा हटाना होगा. "
बहुत सही कहा आप ने!!
हिन्दी चिट्ठाजगत में इस नये चिट्ठे का एवं चिट्ठाकार का हार्दिक स्वागत है.
मेरी कामना है कि यह नया कदम जो आपने उठाया है वह एक बहुत दीर्घ, सफल, एवं आसमान को छूने वाली यात्रा निकले. यह भी मेरी कामना है कि आपके चिट्ठे द्वारा बहुत लोगों को प्रोत्साहन एवं प्रेरणा मिल सके.
हिन्दी चिट्ठाजगत एक स्नेही परिवार है एवं आपको चिट्ठाकारी में किसी भी तरह की मदद की जरूरत पडे तो बहुत से लोग आपकी मदद के लिये तत्पर मिलेंगे.
शुभाशिष !
-- शास्त्री (www.Sarathi.info)
कृपया अपने आलेख को 3 से 5 वाक्यों के पेराग्राफों में बांट दे. इससे पठनीयता 5 गुने बढ जायगी
शास्त्री जी ठीक कह रहे हैं कि आलेख को 3 से 5 वाक्यों के पेराग्राफों में बांट दे.
िचट्ठाजगत में आपका स्वागत है।
....क्या एक फर्जी एनकाउटर में दिल्ली पुलिस का एक वरिष्ठ सिपाही शहीद हो सकता है? जवाब हर सवाल का दिया जा सकता है. .......
आपकी लेखनशैली अच्छी है। जमकर िलखें। साथ में दूसरों के िलखे पर ताकझांक कर िटप्पिणयां भी छोड़ें।
www.gustakhimaaph.blogspot.com
"अपने दिमाग से माइनोरिटी वाला फंडा हटाना होगा. " बिल्कुल ठीक कहा आपने। आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
ब्लाक जगत में आपका स्वागत है। शुभकामनाएं।
पवन निशान्त
http://yameradarrlautega.blogspot.com
मेरे ब्लॉग पर आने व टिप्पणी करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद...
सार्थक आलेख धन्यबाद आपका हिन्दी ब्लॉग जगत में स्वागत है
आपको मेरे ब्लॉग पर पधारने का स्नेहिल आमंत्रण है
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