चामुंडा मन्दिर, जोधपुर, राजस्थान में इस मंगलवार भगदड़ में लगभग 125 लोग मारे गए और अनेक घायल हुए. इस प्रकार के कम व्यवस्था और अधिक आस्था वाले बहुत सारे मन्दिर हिंदुस्तान के कई शहरो में बिखरे पड़े हैं. सवाल यही है की इस आस्था पर अव्यवस्था क्यों की जाती है? चामुंडा मन्दिर हो, नैना देवी मन्दिर हो या कोटा, राजस्थान का महादेव मन्दिर ये वो स्थान हैं जहाँ सारे साल भक्तो की कोई ख़ास भीड़ नहीं होती केवल त्यौहार के दिनों में यहाँ हजारो लाखो लोग दर्शन के लिए इकठ्ठा हो जाते हैं. सारे साल निर्जन पड़े रहने वाले इन मंदिरों का रखरखाव करने वाले सरकार से कोई उम्मीद नहीं रख सकते. यहाँ मंदिरों में कोई कमेटी या बोर्ड जैसी व्यवस्था भी नहीं है. कई सालो से जो परिवार इन मंदिरों की व्यवस्था देखते आए हैं वही आज भी यहाँ पुजारी हैं और व्यवस्था उनके और मन्दिर से जुड़े स्वयासेवाको के हाथो में होती है. ऐसे में कोई भी हादसा होना बड़ी बात नहीं है. सरकार और प्रशासन भी मीडिया के रहने तक हरक़त में रहता है उसके बाद फिर वाही ढाक के तीन पात. मंदिरों की इस दुर्दशा के लिए वास्तव में जिम्मेदार कौन है? इसका जवाब न तो प्रशासन के पास है और न ही हमारे या आपके पास. ऐसे में इन मंदिरों का भगवान् ही मालिक है.
चामुंडा मन्दिर, जोधपुर, राजस्थान का सॅटॅलाइट दृश्य :http://maps.google.com/maps/ms?ie=UTF8&hl=en&t=h&msa=0&ll=26.295464,73.015373&spn=0.002145,0.003433&z=18&msid=100468257710725383396.00045819e82d474f929a6
Tuesday, September 30, 2008
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1 comment:
sach hai, dhnyabad,
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