Monday, December 1, 2008

आख़िर ताज पर हमले के बाद ही क्यूँ जागी सरकार?

अहमदाबाद में धमाके, असाम में विस्फोट, दिल्ली में सीरियल ब्लास्ट हिंदुस्तान के अलग जगहों पर लगातार आतंकवादी घटनाएं मगर कहीं किसी सरकार को, किसी गुप्तचर विभाग को, रा, आइबी, एसटीएस किसी को कोई फरक पड़ता नज़र नहीं आया आख़िर मुंबई के ताज होटल या ओबेरॉय होटल में आतंकी वारदात के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा और सोनिया गाँधी ने सीडब्लूसी की मीटिंग में सरकार को कड़ी फटकार लगायी। शायद इसकी वजह यही है की हिंदुस्तान की सरकार के लिए भी पैसेवाले अमीर लोगो की ज़िन्दगी का महत्त्व है और गरीब जनता का कोई मोल नहीं है. सबसे हैरानी की बात तो ये है की वोट मांगे के लिए यही नेता इस गरीब जनता के सामने नतमस्तक हो जाते हैं.

भारतीय मीडिया या भूखा भेडिया?
विदेश का मीडिया हंगेर मीडिया कहलाता है क्यूंकि वहां चैनल और अखबार ज़्यादा है और वारदाते कम हैं। भारतीय मीडिया अभी तक बहुत संयम और तटस्थता रखने वाला मीडिया होता था मगर आहिस्ता-आहिस्ता यहाँ का मीडिया भी 'ब्रेकिंग न्यूज़' के लिए भूखा भेडिया बन गया है. ताज की आतंकी कार्यवाही को नाकाम करने के लिए हमारे जांबाजों द्वारा किए जाने वाले ऑपरेशन्स को टीवी पर कुछ चैनल्स ने लाइव दिखाना अपनी वियुर्शिप के लिए अच्छा समझा इसलिए संवेदनशील होने के बावजूद वो लगातार एनएसजी कमांडो की हरकतों को टीवी पर दिखाते रहे.

हिंदुस्तान चल रहा है और बहुत तेज़ी से चल रहा रहा है. इसीलिए ज़रूरत है मार्गदर्शन की और अगर सही दिशा और मार्गदर्शन नहीं मिला तो हिंदुस्तान जिस तेज़ी से चल रहा है वो यहाँ 'सिविल वार' की स्थितिया पैदा कर सकता है.

1 comment:

अनुराग said...

जवाब सीधा सा तो है -

मौतों को भी तराजू में तौलते है
तभी तो ताज के बाद आँखें खोलते हैं.

विचारको की मित्रमंडली