Saturday, October 4, 2008

आख़िर क्या है कलर्स टीवी का 'बिग बॉस सीज़न २ शो'?

बिग बॉस या बिग ब्रदर: क्या है मानसिकता इसके पीछे ?
वर्ष 1955 में नीदरलैंड में जन्मे जॉन डी मॉल की कंपनी एन्डेमौल ने 1999 में नीदरलैंड में पहली बार एक टीवी शो शुरू किया जिसमे उस वक्त के जाने-माने सितारों को तीन महीने के लिए एक घर में दुनिया से काट कर रखा गया. इसी शो को नाम दिया गया बिग ब्रदर. लन्दन में आयोजित 2007 के बिग ब्रदर शो लन्दन की टीवी ऐक्ट्रेस जेड़ गूडी के रंगभेद वाले कटाक्ष के कारण भारत की शिल्पा शेट्टी ने इस कार्यक्रम में जीत हासिल की और इसके बाद ही हिंदुस्तान में बिग ब्रदर को पहचाना जाने लगा।
भारत में इसका नाम बिग बॉस है और इसके पहले सफल सीज़न के बाद आजकल कलर्स टीवी पर इसका दूसरा सीज़न चल रहा है. इस टीवी शो में जाने माने सितारे भाग लेते हैं और इन सितारों की संख्या 16 तक हो सकती है और इन्हे बिग बॉस द्वारा बनाए गए दिशा निर्देशों में रहना पड़ता है. इन सितारों के तीन महीने का वक्त पूरी तरह से विडियो और ऑडियो में रिकॉर्ड किया जाता है और उसे एडिट कर के रोज़ का शो बनाया जाता है।
आख़िर ये खेल है क्या?
इंसान हमेशा से विधाता या भगवान् बन्ने की कामना करता आया है. मशहूर लोगो की ज़िन्दगी का विधाता तीन महीने के लिए बिग बॉस हो जाता है. उनका खाना-पीना, सोना, यहाँ तक की हँसना और रोना तक बिग बॉस द्वारा संचालित होता है. बाहर की दुनिया से 'बिग बॉस के मेहमानों' का कोई संपर्क नहीं होता. इन तीन महीनो के लिए इन सितारों की ज़िन्दगी 32 विडियो कैमरों द्वारा लगातार रिकॉर्ड हो रही होती है. बिग बॉस के नियमानुसार इन सितारों को बिना माइक के आपस में बात करना मना है. हर हफ्ते बिग बॉस तीन मुख्य काम करता है पहला घर के सदस्यों को 'साप्ताहिक कार्य' देना, दूसरा सदस्यों द्वारा अपने साथी घरवालो को घर से बेघर करने का नोमिनेशन और तीसरा किसी एक सदस्य को हर हफ्ते घर से बेघर करना. घरवालो को बिग बॉस के बनाये नियमो का पालन करना होता है. बिग बॉस जिसकी कोई शक्ल नहीं है, उसे घरवाले सिर्फ़ एक आवाज़ से जानते हैं. ये वो आवाज़ है जो घरवालो को दिशा निर्देश देती है और उनसे बिग बॉस की तरफ़ से बात करती है. इन तीन महीनो के सफर में घरवाले किसी बहार वाले की शक्ल तो दूर उनसे बात तक नहीं कर सकते. कोई मोबाइल नहीं, कोई ख़त नहीं, यहाँ तक की कोई घड़ी भी नहीं. मशहूर सितारों का इन सबके बिना रहना किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. नोमिनेट होने के बाद जनता, जो इस शो को देख रही है और सब घरवालो को समझ रही है, फ़ैसला करती है की घर से बेघर होने वाला सदस्य कौन होगा।
आख़िर इतना सब करके इन सितारों को मिलता क्या है?
सबसे पहले तो प्रसिद्धि क्यूंकि हर वक्त कैमरे में रहने के कारण उनका असल व्यक्तित्व सामने आ जाता है. इन सितारों को पता चलता है की आख़िर पब्लिक उन्हें कितना पसंद करती है. इस सबके अलावा बिग बॉस सीज़न टू को जीतने वाले को मिलेंगे 75 लाख रुपये।
और जानकारी चाहिए?
देखिये : http://bigboss2.in.com/
उम्मीद है ब्लॉग पढने वालो को मेरा ये ब्लॉग पसंद आएगा. अरबपति जॉन डी मॉल का शुरू किया ये खेल अब पूरी दुनिया में अलग-अलग नामो और शक्लो में खेला जा रहा है.

1 comment:

BrijmohanShrivastava said...

प्रिय अमित ईश्वर तुम्हे सदैब प्रसन्न रखे / आपका आलेख पढ़ा अच्छा लगा / इसमे सचाई ये है की "" इंसान बिधाता या भगवान् बनना चाहता है " = कई भगवान् हो चुके कई होने जारहे है / आपके लेख में व्यंग्य यह है कि ""घर वालों के घर से वेघर करने का नोमी नेशन "" बहुत अच्छा लिखते हो /ब्लॉग पर ज्यादा तर्रीफ करना उचित नहीं होता =यहाँ का तो तरीका है कि आओ ,ब्लॉग खोलो ,सरसरी नजर डालो और बहुत अच्छा लिख आओ /बिल्कुल कुत्ते और खंभे की दोस्ती की तरह / मैं एक बात बताऊँ /साहित्यकार की मौत दो तरह से होती है एक तब जब कोई विद्वान् उसके लेख को पढ़ या सुनकर, सराहना ना करे और चुप हो जाए =और दूसरी मौत तब होती है जब कोई नावाकिफ ,नाजानकार शेर सुनकर वाह वाह कर जाए या तारीफ कर जाए /मेरा ई मेल आई डी है :- Thesis_brij@yahoo.co.in

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