Friday, January 30, 2009
उठिए ये लेडीज़ की सीट है
बस में, इंतज़ार में, मेट्रो में और जगह-जगह हम देखते हैं की आदमियो का इसी प्रकार शोषण हो रहा है। आदमी होने की बहुत बड़ी सज़ा हम लोग भुगत रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे आदमी होकर हमने अपने सारे मौलिक अधिकार खो दिए हैं। आज ही दिल्ली मेट्रो में मेरे दोस्त को, अरे दोस्त को क्यूँ, मुझे एक सज्जन ने सीट से उठा दिया ये दिखाकर की ऊपर लिखा था 'केवल महिलाय'। इस पर भी याद दिलाने, या यूं कहे की जले पर नमक छिड़कने के लिए लगातार संदेश आता रहता है की 'महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पर पुरूष यात्री न बैठे' और महिला यात्री कही भी बैठे? पुरूष यात्री भी तो पूरे पैसो का टिकेट लेकर ही मेट्रो मैं बैठे हैं। मेरे विचार से अब ये विषय मज़ाक से संजीदगी में दाखिल होता जा रहा है। मेरे विचार से बुजुर्ग या ज़रूरतमंद महिला को देखकर भी कोई बैठने के लिए सीट नहीं देगा, इतनी बेमुरव्वती अभी तक दिल्ली वालो में नहीं आई है। चलिए बुजुर्गो और शारीरिक रूप से विकलांग लोगो के लिए सीट अरक्षित है तो कोई बात नहीं मगर औरतो के लिए, जो मर्दों से कंधे से कन्धा मिलाकर चलने की चाह रखती हैं, मेरे विचार से सीट अरक्षित करने का कोई कारण नहीं है। जिस मर्द में शर्म होगी वो बिना किसी आरक्षण के भी ज़रूरतमंद को सीट देगा और बेशर्म को तो कहने का भी असर नहीं होगा। इस तरह के आरक्षण हमेशा से झगडे की वजह बनते आए हैं और सदा बनते रहेंगे। सरकार में जहाँ औरतो को आरक्षण दिया जाना चाहिए वहां तो आरक्षण है नहीं, बेकार की गैर-ज़रूरी चीजों में आरक्षण दबा-दब दे रखा है। एनी वे इट्स अ वे ऑफ़ लाइफ इन दिल्ली नाऊ। बाल सफ़ेद करने का कोई फ़ायदा नहीं चिंता छोडिये ब्लॉग लिखिए। धन्यवाद आपके कमेंट्स के लिए.
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3 comments:
amit ji badhiya baat kahee
अमित जी
नमस्कार
अभी आपका ब्लॉग महिलाओं की नजर में नहीं आया। इसका एक कारण यह हो सकता है कि पूरी पोस्ट में आपने कहीं भी स्त्री नहीं लिखा है :)
एक बार स्त्री शब्द के साथ पोस्ट ठेलकर देखिए तो सही। ब्लॉगजगत की सारी महिलाएं आपको दे दनादन कमेंट देंगी कि आप उफ कर लेंगे।
वैसे भी मैं भी पुरुष विमर्श पर एक पोस्ट लिखने की कई दिन से सोच रहा हूं। जैसे दलित विमर्श और स्त्री विमर्श का जबरदस्त घालमेल किया गया है वैसा ही पुरुष और दलित में करने की सोच रहा हूं।
:)
Bahut sundar...!!
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युवा शक्ति को समर्पित ब्लॉग http://yuva-jagat.blogspot.com/ पर आयें और देखें कि BHU में गुरुओं के चरण छूने पर क्यों प्रतिबन्ध लगा दिया गया है...आपकी इस बारे में क्या राय है ??
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